वन में मादा हाथनी की मौत वनमंडल के अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही का नतीजा,,,

घरघोड़ा।। घरघोड़ा इमलीडीही सुमड़ा जंगल 1275 संरक्षित वन में मादा हाथनी की मौत से फिर से वन विभाग के कार्यप्रणाली के उपर सवाल खड़ा हो रहा है। अधिकारी कर्मचारियों ने चुप्पी साध ली है किसी तरह की जानकारी देने से बच रहे हैं, जानकारी जो छनकर बाहर आ रही है वह वन विभाग की घोर लापरवाही को उजागर करने में प्रयाप्त है मादा हथनी को मरे सप्ताह भर से अधिक होना बताया जा रहा है, फिर भी बीट गार्ड सुशीला खड़िया या अन्य वन मित्र समिति के सदस्यों को कोई जानकारी नहीं थी सड़ांध के गंद से समुचा जंगल बदबू दे रहा था जिस पर ग्रामीणों ने पास जाकर देखा तो हाथी बिजली के तार में फंस कर मरा हुआ मिला जिसकी सुचना तत्काल वन विभाग को दिया गया है, रायगढ़ धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र में लगातार हाथियों की मृत्यु हो रही है मनुष्य व हाथियों के मध्य द्वंद से जान माल का भारी नुक़सान हो रही है।
वनमंडल के अधिकारी-कर्मचारियों की लापरवाही का ही नतीजा है कि अपने कर्त्तव्यों पर पर्दा डालते हुए इस घटना को लेकर चुप्पी साधे हुए है, हाथी की मौत का मामला सामने आते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया है।
इसकी जानकारी मिलते ही दोनों वन मंडल के अधिकारी मौके पर पहुंचे तब यह स्पष्ट हुआ कि मृत हाथी रायगढ़ वन मंडल क्षेत्र में है। प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि हाथी की मौत बिजली करंट की चपेट में आने से हुई है। अधिकारियों ने बताया कि वन विभाग के आदेश क्रमांक 1275 में हाथी की लाश मिली है। बहरहाल वन विभाग की टीम इस मामले की जांच कर रही है। वहीं शव के अंतिम संस्कार की भी तैयारी किया जा रहा है।
इस तरह के मामलों में यह कहना ग़लत नहीं होगा की वन विभाग के ऊपर से आमजन का लगभग भरोसा उठ गया है करोड़ों रुपए खर्च कर के भी नतीजा शुन्य है। आखिर वन विभाग अपने कर्तव्यों से विमुख क्यों रहती है यह सवाल हर आमजन के मुख पर है आज की स्थिति में जंगलों में बेहिसाब लकड़ी की कटाई कर अवैध धंधा फल-फूल रहा है, जंगल में अवैध शिकार का हजारों मामले हैं फिर भी वन अमला सिर्फ लिपापोती कर मामला दबाने में लगी रहती है, जिस कार्य के लिए सरकार द्वारा आमजन के टेक्स का पैसा वेतन के रूप में दे रहा है वह फिजुल खर्च साबित हो रही है चाहे डीएफओ हो या रेंज आफिसर किसी के कार्यों की सराहना आज तक कभी नहीं हुआ कारण यह सभी अधिकारी अपने चेंबर से बाहर आकर जंगल में मेहनत करने से कतराते हैं, मुफ्त का वेतन लेकर राजशाही जीवन यापन करने वाले अधिकारियों की नाकामियों के कारण आज जंगल भीतर अवैध धंधों की भरमार है रोज लकड़ी चोरी से लेकर कोयला बालू व अवैध शिकार की सूचना मिलती रहती है, इस कारण जहां हाथियों के लिए अलग से योजना बनाते बनाते लाखों करोड़ों खर्च हो गए फिर भी धरातल पर कार्य कुछ नजर नहीं आता हाथियों व लोगों के मौत का जिम्मेदार सिर्फ वन विभाग ही है? लगातार हो रही इस तरह हाथियों की मौत को लेकर अब वन विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर भी सवाल दागे जा रहे है और हमेशा की तरह इनके पास कोई जवाब नहीं है। बीटगार्ड जंगल में ड्यूटी करने के बजाय शहरी चकाचौंध में व्यस्त है और डीएफओ को इससे कोई सरोकार नहीं है।

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